लैंसडाउन ( Lansdowne ), उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित बेहद खूबसूरत पहाड़ी ( hill station of Garhwal) है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यह स्थल, जो कभी एक अछुता जंगल था, 6000 फीट पर स्थित है एंव कालुडांडा के नाम से जाना जाता है । लैंसडाउन (कालु का डांडा) में अधिकांशतः ओक और बुरांस के जंगल है जिसे धूमिल मौसम में दूर से देखने पर विशेष रूप से एक धुंधला और काला सा रंग प्रतीत होता है इसलिए इसका नाम कालुडांडा पड़ा । 21 सितंबर, 1890 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हेनरी लैंसडाउन के नाम पर कालुडांडा को लैंसडौन ( Lansdowne) नाम दिया गया था।
लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर और कोटद्वार से 45 किमी दूर स्थित है।, इसकी स्थापना सन 1887 में हुई थी। लैंसडाउन को अंग्रेजों ने गढ़वाल राइफल्स (Garhwal Rifles) के रिक्रूटर्स ट्रेनिंग सेंटर के रहन-सहन के लिए विकसित किया था। अब यह, भारतीय सेना के प्रसिद्ध गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का कार्यालय व रिक्रूटर्स ट्रेनिंग सेंटर है। जयहरीखाल और लैंसडाउन के बीच स्थित एक सड़क है, जिसे ठंडी सड़क कहा जाता है, यहाँ अंग्रेजों के समय भारतीयों को आने की अनुमति नहीं थी, यह केवल यूरोपीय लोगों के खुला रहता था।
यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस इलाके में देखने लायक काफी कुछ है। प्राकृतिक छटा का आनन्द लेने के लिए टिप इन टॉप जाया जा सकता है। यहाँ से बर्फीली चोटी और मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। दूर-दूर तक फैले पर्वत और उनके बीच छोटे-छोटे कई गाँव आसानी से देखे जा सकते हैं। पास में ही 100 साल से ज्यादा पुराना सेंट मैरीज़ चर्च भी है। यहाँ की भुल्ला ताल बहुत प्रसिद्ध है। यह एक छोटी-सी झील है जहाँ नौकायन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा संतोषी माता मंदिर से दिखता है। यह मंदिर लैंसडाउन ( Lansdowne) की ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। वैसे, यहाँ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ताड़केश्वर मंदिर भी है। यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है।
लैंसडाउन के प्रमुख पर्यटन स्थल (Tourist places of Lansdowne )
अगर आपके शहर के करीब कोई हिल स्टेशन हो, तो आप वहां जाकर आज की भागती जिंदगी के बीच सुकून तलाश सकते हैं। दिल्ली वासियों के लिए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल पसंदीदा वीकेंड डेस्टिनेशन होते हैं। इनमें उत्तराखंड का लैंसडाउन ( Lansdowne) थोड़ा अलग है, जहां मिलता है। प्रकृति के बीच सुकून से समय विताने का मौका और पहाड़ों के ताजी हवा। गढ़वाल राइफल्स सेंटर के परेड ग्राउंड में युद्ध स्मारक, घूमने वालों के लिए एक आकर्षण केंद्र है, हालांकि यहाँ जाने से पहले पूर्व अनुमति लेनी होती हैं। शहर के चारों ओर दर्शनीय स्थलों में टिप एन टॉप व्यू पॉइंट, कालेश्वर महादेव मंदिर, संतोषी माता मंदिर, गढ़वाल रेजिमेंटल का संग्रहालय, भुल्ला ताल झील, सेंट मैरी चर्च शामिल हैं।
- सेंट मैरीज चर्च (St. Marry’s Church) :1895 में कर्नल (तत्कालीन लेफ्टिनेंट) A.H.B ह्यूम ऑफ रॉयल इंजीनियर्स द्वारा सेंट मैरीज चर्च का निर्माण शुरू हुआ और 1896 में पूरा हुआ। इस चर्च मे अब अब गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर द्वारा पूर्व स्वतंत्रता आंदोलन की तस्वीरों और रेजिमेंटल इतिहास के ऑडियो विजुअल डिस्प्ले की अतिरिक्त सुविधाओं के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र के रूप मे विकसित किया गया है।
- टिप-इन-टॉप (Tip-In-Top) : यह लैंसडाउन के ऊँचे पहाड़ी पर आने वाले पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय बिंदु केंद्र है। यह सेंट मैरीज चर्च के करीब ५०० मीटर की दूरी पर है।
- भुल्ला ताल (Bhulla Tal) : भुल्ला का अर्थ गढ़वाली भाषा में छोटा भाई होता है और यह गढ़वाल राइफल्स के गढ़वाली युवाओं को समर्पित है जिन्होंने बिना किसी सरकारी धन के इसके निर्माण में दिन-रात अपनी सेवाओं का योगदान दिया। यहाँ नौका विहार, बच्चों का पार्क की सुविधा भी उपलब्ध है
- ताड़केश्वर महादेव मंदिर (Tarkeshwar Mahadev Temple) : प्रसिद्ध तारकेश्वर महादेव मंदिर अपने विशेष शिवलिंग और एक कुंड (एक छोटा तालाब) के साथ जिसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है, लैंसडाउन से 39 किमी दूर स्थित है। लोग मंदिर में प्रवेश करने से पहले गौरी कुंड में स्नान करते हैं। दो अन्य प्रसिद्ध मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर और ज्वाल्पा देवी, जो क्रमशः पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पर हैं 24 किमी और 47 किमी दूर हैं। दुर्गा देवी मंदिर भारत के सबसे पुराने सिद्ध पीठों में से एक है।
- कालेश्वर मंदिर (Kaleshwar Temple): यह लैंसडाउन ( Lansdowne) की सबसे पुरानी मंदिर माना जाता हैं, यह लगभग 500 साल पुरानी है। जब गढ़वाल राइफल्स 4 नवंबर 1887 को लैंसडाउन पहुंची, तो यहाँ केवल भगवान शिव की मूर्ति थी। मंदिर में स्थानीय लोगों और ग्रामीणों द्वारा गहराई से पूजा की जाती है, 1887 से आज भी मन्दिर की पूजा अर्चना व देखभाल गढ़वाल राइफल रेजिमेंन्ट द्वारा की जाती है।
लैंसडौन कैसे पहुँचे (How to reach Lansdowne )
दिल्ली से लैंसडाउन ( Lansdowne) करीब 270 कि॰मी॰ की दूरी पर है। यहाँ विभिन्न मार्गों से पहुँचा जा सकता है। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार (kotdwar) होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं।
- सड़क मार्ग से : लैंसडाउन कई शहरों से जुड़ा हुआ है। जहाँ से निजी और सरकारी बसें कोटद्वार तक जाती हैं, कोटद्वार से लैंसडाउन करीब 40 कि॰मी॰ की दूरी पर है।
- रेलवे से: नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है।
- हवाई अड्डा : यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट है, जो लैंसडाउन से करीब 152 कि॰मी॰ की दूरी पर है।