तुंगनाथ (Tungnath) के बारे में कहा जाता है यह उत्तराखंड की बर्फीली पहाड़ियां (Tungnath : The Snowy Hills Of Uttarakhand) में स्थित भारत का स्विट्जरलैंड (Switzerland of India) है। इसी वजह यहाँ पर ट्रेक करना उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। तुंगनाथ (Tungnath) पहुंचने के लिए देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग के रास्ते चोपता पहुँचना पड़ता है । ऋषिकेश से देवप्रयाग 70 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित तुंगनाथ मंदिर दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ (Tungnath) की पर्वत श्रृंखला में स्थित पांच पंचकेदार मंदिरों में से सबसे ऊंचा मंदिर है। पहाड़ों में हर बार जाकर लगता कि कुछ रह सा गया है थोड़ा और आगे जाना चाहिये था। जब हम उत्तराखंड से लेकर हिमाँचल, जम्मू हो या पूरा पूर्वी भारत के पहाड़ देखे तो लगा कि इससे अच्छा और सुंदर क्या हो सकता है? लेकिन जब आप आगे, और आगे जाते हैं तो पता चलता है कि सबसे सुन्दर कुछ नहीं होता है। बस वो तो क्षणिक भर की सुन्दरता होती है जो आपको उस जगह की याद दिलाती है। इन्हीं पहाड़ों में घूमते-घूमते हमे वो चढ़ाईया मिलते है जो उस पल की याद दिलाता है जो बार-बार उस बर्फानी चोटी की ओर हमें आकर्षित करती है
तुंगनाथ (Tungnath) का शाब्दिक अर्थ : “चोटियों के भगवान” यह पर्वत मंदाकिनी और अलकनंदा नदी घाटियों का निर्माण करते हैं।

तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple)
तुंगनाथ (Tungnath) उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है भगवान शिव को समर्पित तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple), जो कि समुद्र तल से 3460 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है। माना जाता है कि मंदिर 1000 साल से अधिक पुराना है और पंच केदारों में तीसरा (तृतीया केदार) है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट हो गए थे। मंदिर चोपता से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी । तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) आस्था अध्यात्म के साथ-साथ बर्फबारी और पर्वतीय आकर्षण से भरपूर है। अध्यात्म और पर्यटन के सम्मिलित रूप से प्रचलित तुंगनाथ विश्वव्यापी है। यहां हर साल ठंड और गर्मियों के मौसम में सैलानियों का तांता लगा रहता है। तुंगनाथ मंदिर पहाड़ियों के ऊपर बर्फ से बिछी सफेद चादर से आकर्षण का मुख्य बिंदु बना हुआ है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर नंदी बैल की पत्थर की मूर्ति है, जो पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के सवारी हैं। इसके अलावा यहाँ अलग-अलग देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर इस मंदिर के आसपास मिलते हैं। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है।



तुंगनाथ का आकर्षण (Attraction of Tungnath)
बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीने में तुंगनाथ (Tungnath) पर्वत का पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। चोपता के बारे में ब्रिटिश कमिश्नर एटकिन्सन ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में चोपता नहीं देखा उसका इस पृथ्वी पर जन्म लेना व्यर्थ है। एटकिन्सन की यह उक्ति भले ही कुछ लोगों को अतिरेकपूर्ण लगे लेकिन यहां का सौन्दर्य अद्भुत है, इसमें किसी को संदेह नहीं हो सकता। किसी पर्यटक के लिए यह यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है। तुंगनाथ अध्यात्म,आस्था और पहाड़ों के आकर्षण से भरपूर है। लोग यहां आस्था और विश्वास के साथ मत्था टेकने के साथ-साथ यहां के खूबसूरत वादियों का भी आनंद लेते हैं। पर्वतों के वादियों की खूबसूरती के साथ बर्फ के पीछे सफेद चादर तुंगनाथ पर्वत की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। आस्था के मंदिर और पर्वतों के आकर्षण के साथ यहाँ पे मखमली घास, और बड़े बड़े देवदार पेड़ के आकर्षण को देखते ही सैलानियों के पांव थमे के थमे रह जाते हैं। तुंगनाथ में गर्मियों के दौरान, घास के मैदान हरे भरे होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों के साथ हरे-भरे दिखाई देते हैं। तुंगनाथ के पर्वतों में खेले कुरान्स के फूल की खूबसूरती ऐसा लगती है जैसे मानो पृथ्वी की हरियाली अपने रंग-बिरंगे फूलों के साथ पर्वतों पर बिछी बर्फ की सफेद चादर और आसमान के मिलन को नीचे से झांक रही हो।
यूं तो मई से नवंबर तक कभी भी तुंगनाथ (Tungnath) के दर्शनों के लिए जा सकते हैं। लेकिन जनवरी और फरवरी का समय यहां पर लोगों को काफी पसंद आता है। इस दौरान यहां पर खूब बर्फ होती है। ‘तुंगनाथ’ के दर्शन करने के लिए ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर चोपता जाना होगा। इसके बाद ‘तुंगनाथ’ (Tungnath) के लिए स्थानीय साधन मिल जाते हैं। इसके अलावा दूसरा रास्ता ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर जाता है। ऊखीमठ से भी चोपता जाना होगा उसके बाद ‘तुंगनाथ’ मंदिर के लिए साधन मिल जाते हैं।



तुंगनाथ कैसे पहुंचे (How to reach Tungnath)
चोपता उत्तराखंड रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा ऋषिकेश से दूरी 254 किलोमीटर है। पंच केदार में तृतीय केदार श्री तुंगनाथ (Tungnath) चोपता से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गोपेश्वर – उखीमठ रोड एवं गोपेश्वर से लगभग 40 किलोमीटर व यह समुद्र तल से 2900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, चोपता पूरे गढ़वाल क्षेत्र में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह हिमालय पर्वतमाला और आस-पास के क्षेत्रों का एक लुभावनी दृश्य प्रदान करता है। तुंगनाथ पहुंचे के लिए चोपता से लगभग 2 किलोमीटर ट्रेक करना पड़ता है। तुंगनाथ से लगभग 4 किमी की थोड़ी दूरी पर चंद्रशिला की चोटी के ऊपर से, हिमालयी श्रृंखला के चित्रमय दृश्य, जिनमें एक तरफ नंदादेवी, पंचाचुली, बंदरपुंछ, केदारनाथ, चौखम्बा और नीलमथ की बर्फ से ढकी चोटियाँ और विपरीत दिशा में गढ़वाल घाटी देखी जा सकती है। तुंगनाथ धार्मिक स्थल होने के अलावा, एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्थल भी है।
- एयर से : तुंगनाथ (Tungnath) पहुंचने के लिए कोई भी हवाई मार्ग नहीं है पर चोपता से निकटतम हवाई अड्डा जोली ग्रांट एयर पोर्ट देहरादून जो की 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
- ट्रेन से : चोपता के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो कि 200 किमी की दूरी पर है।
- सड़क से : चोपता सड़क मार्ग द्वारा रुद्रप्रयाग देवप्रयाग और ऋषिकेश से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश से देवप्रयाग लगभग 75 किलोमीटर व देवप्रयाग से रुद्रप्रयाग लगभग 68 किलोमीटर और रुद्रप्रयाग से चोपता लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है चोपता से तुंगनाथ (Tungnath) पहुंचने के लिए लगभग 3 किलोमीटर का ट्रेकिंग करना पड़ता है।
Pingback: Chopta - Mini Switzerland Of Uttarakhand - Humans Of Uttarakhand