First Cinema Hall of North India

बहुत कम लोगों को ही पता है कि उत्तर भारत का पहला पिक्चर पैलेस (First Cinema Hall of North India) वर्ष 1914 में मसूरी (Mussoorie) में अस्तित्व में आया था। इस पिक्चर पैलेस चाहे आप सिनेमा हॉल काहे चाहे थिएटर का नाम द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस (The Electric Picture Palace Mussoorie) था।

First Cinema Hall of North India Picture Palace Mussoorie
First Cinema Hall of North India Picture Palace Mussoorie

‘द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ उत्तर भारत का पहला सिनेमा हॉल (First Cinema Hall of North India ‘The Electric Picture Palace’)

पहाड़ों की रानी मसूरी (Queen Of Hill Mussoorie) की आबोहवा ने अंग्रेज अफसरों का दिल जीत लिया था, सो मसूरी (Mussoorie) बसाने के बाद उन्होंने यहां के विकास और सुविधाएं जुटाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। मसूरी (Mussoorie) में पीने का पानी से लेकर, वह के रास्ते और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए अंग्रेज हमेशा तत्पर रहते थे।

हालांकि, इस सबके बावजूद उन्हें वह बात लगातार अखर रही थी मसूरी (Mussoorie) में उनके अधिकारियों व नगरवासियों के लिए मनोरंजन की कोई सुविधा नहीं है। लिहाजा, वर्ष 1860 से 1868 के बीच माल रोड पर मसूरी (Mall road Mussoorie) बाजार ( अब लाइब्रेरी बाजार) के पास इलीसमेयर हाउस में नाटकों का मंचन किया जाने लगा। यह सिलसिला वर्ष 1935 तक चला। इसी वर्ष से यहां बाइस्कोप दिखाए जाने लगा। बाद में यही इलीसमेयर हाउस मैजेस्टिक सिनेमा हॉल बना।

First Cinema Hall of North India Electric Picture Palace Mussoorie
First Cinema Hall of North India Electric Picture Palace Mussoorie

मसूरी (Mussoorie) के कुलड़ी बाजार के अंतिम छोर पर आयरिश व ब्रिटिश वास्तुकला के प्रतीक ‘द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ (The Electric Picture Palace Mussoorie) की इमारत आज भी खामोश खड़ी है। उत्तर भारत के इस पहले सिनेमा हॉल (First Cinema Hall of North India) की क्षमता 350 सीटों की थी और यहां शुरुआती दौर में यह शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक सिर्फ दो शो चलते थे। उस दौर में फिल्में मूक (बिना बोले जाने वाले फिल्में) होती थीं,और सो पार्श्व में बैंड वादन होता था। तब मसूरी की आबादी मात्र लगभग 6552 थी।

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Captain Frederick Young Founder of Mussoorie Hill

उत्तर भारत का पहले सिनेमा हॉल (First Cinema Hall of North India) में जून 1931 में इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस (Picture Palace Mussoorie) में रोमांटिक नाइट फिल्म ‘वन’ आई तो रात को ढाई बजे बैंड बजाकर शो चलाया गया था। वर्ष 1930 के बाद मसूरी में रॉक्सी, कैपिटल, जुबली, रियल्टी और वर्ष 1945 के बाद बसंत सिनेमा हॉल खुले। इनमें से रॉक्सी सिनेमा ‘तो आग लगने के कारण बंद हो गया और बाकी हॉल भी 20वीं सदी के अंतिम दशक में धीरे-धीरे बंद होते चले गए।

पुराने मैजेस्टिक सिनेमा के स्थान पर आज कॉर्निवल मत्टीफ्लेक्स सिनेमा नई तकनीक एवं साज-सज्जा के साथ बीते तीन सालों से चल रहा है।

1914 में बनकर तैयार हुआ था उत्तर भारत का पहला सिनेमा हॉल ‘द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ (The Electric Picture Palace Mussoorie First cinema hall of North India was built in 1914)

जॉन स्टीवर का सपना मसूरी में यूरोप की तरह सिनेमा घर स्थापित करने का था, लेकिन वर्ष 1912 में मसूरी से फैले प्लेग बीमारी से उनकी मौत हो गई। बाद में जस लिटिल नामक अंग्रेज ने वर्ष 1913 के आसपास ‘द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ का निर्माण शुरू करवाया। और वर्ष 1914 में वह बनकर तैयार हुआ और यहां पहली फिल्म ‘द होली नाइट” प्रदर्शित की गई। उन दिनों फिल्म के प्रचार-प्रसार के लिए लाइब्रेरी चौक और घंटाघर के समीप बैंड वादन किया जाता था।

उत्तर भारत का पहले सिनेमा हॉल में अंग्रेज और भारतीय साथ देखते थे फिल्में (First cinema hall of North India saw English and Indian films together)

पहाड़ों की रानी मसूरी में अंग्रेजी हुकूमत के दौर की अनेक यादें आज भी बसी हुई हैं। मनोरंजन की बात करें तो उत्तर भारत का पहला सिनेमाघर भी मसूरी में ही अस्तित्व में आया था। शायद इस बात को कम ही लोग जानते होंगे कि अंग्रेजों ने वर्ष 1912 में यहां पहले सिनेमाघर “पिक्चर पैलेस” को बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी।

First Cinema Hall of North India The Electric Picture Palace Mussoorie
First Cinema Hall of North India The Electric Picture Palace Mussoorie

जस लिटिल नामक अंग्रेज ने वर्ष 1913 में इसका ‘“द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ नाम से निर्माण शुरू करवाया। वर्ष 1914 में यह बन कर तैयार हो गया।

जिस प्रोजेक्टर से फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता था, वह यूरोप में बने पहले 20 प्रोजेक्टरों में से एक था। एक दिलचस्प बात यह भी है कि मसूरी की माल रोड पर तब जहां भारतीयों का प्रवेश निषेध था, वहीं ‘द इलेक्ट्रिक पिक्चर पैलेस’ (The Electric Picture Palace Mussoorie) में भारतीय व अंग्रेज एक साथ फिल्म देखते थे।

इतिहासकार जय प्रकाश उत्तराखंडी के अनुसार वर्ष 1948 में जब वहां पर हिंदी फिल्म ‘ चंद्रलेखा’ दिखाई जाने लगी तो दर्शकों की इतनी भीड़ उमड़ी कि टिकट बिक्री के लिए चार काउंटर बनाने पड़े । लेकिन, 20वीं सदी तक आते आते अब अंततः यह सिनेमाहॉल बंद हो गया।

1890 में बने द पिंक थिएटर में होता था शेक्सपियर के नाटकों का मंचन (Shakespeare’s plays were staged at The Pink Theater in 1890)

उत्तर भारत का पहला पिक्चर पैलेस (First Cinema Hall of North India) पहाड़ो की रानी मसूरी में वर्ष 1880 में नगर पालिका परिसर में प्रेक्षागृह (वह स्थान जहाँ नाटक खेला जाए और दर्शक बैठकर देखें) बन चुका था। वर्ष 1890 में कुलड़ी के मध्य ‘द रिक’ जैसा भव्य थिएटर व स्केटिंग रिंक अस्तित्व में आया और धिरे-धिरे यहां अंग्रेजी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता शेक्सपीयर के नाटकों का मंचन होने लगा।

ब्रिटिश फौज के मेजर स्टीवर के पोते अभिनेता जॉन स्टीवर वर्ष 1880 से मसूरी में शेक्सपीयर के नाटकों का मंचन किया करते आ रहे थे। वर्ष 1908 में वह यूरोप से एक बाइस्कोप खरीद लाए और फिर चार्ल विली होटल, फौज के लंदौर डिपो व हिमालय क्लब में बाइस्कोप के शो चलने लगे।

2 thoughts on “First Cinema Hall of North India”

  1. First-class article it is really. My father has been searching for this info. Mollie Bobbie Nalani

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